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Indian Stock Market Dips as Trump Imposes 50% Tariffs on Exports

अमेरिकी टैरिफ वृद्धि के बीच भारतीय शेयर बाजार: एक चिंताजनक सुबह

यह लेख 7 अगस्त 2025 की सुबह की स्थिति को ध्यान में रखते हुए लिखा गया है—जब भारत‑अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव एक नए मोड़ पर आ खड़े हुए।

1. उन सालमात शेयर बाजार की शुरुआत, जो एक झटके के साथ हुई

7 अगस्त 2025 की सुबह भारतीय स्टॉक बाजार एक स्पष्ट लाल रंग में खुला। बीएसई सेंसेक्स खुलते ही करीब 335 पॉइंट गिरकर 80,208 के स्तर पर पहुंच गया, जबकि एनएसई का निफ्टी 24,460 के करीब खुला—लगभग 114 पॉइंट की गिरावट दर्ज हुई। यह शून्य से निचले स्तर पर आने की ताज़ा शुरुआत थी (Reuters)।

मार्केट की शुरुआत कुछ थमी हुई रही: गिफ्ट निफ्टी फ्यूचर्स सुबह 7:05 पर 24,586 अंक पर थे, जो पिछले दिन के बंद (24,574.2) से लगभग मिलता-जुलता था (Reuters)। मुद्रा रूख में भी खास बदलाव नहीं दिखा: डॉलर-रूपये की 1‑महीने की गैर‑डिलिवरेबल फॉरवर्ड (NDF) दरों ने इशारा दिया कि शायद रुपया स्थिर खुलेगा।

2. 50% तक चले गए अमेरिकी टैरिफ: क्या कहानी है इसका?

यह सब अचानक नहीं आया। अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत से आयातित वस्तुओं पर पहले से लागू 25% टैरिफ में और 25% जोड़कर उसे कुल 50% कर दिया—फिर चाहे वह रफ तेल हो, रत्न-आभूषण, वस्त्र, चर्म उत्पाद, या समुद्री खाद्य (श्रीम्प) जैसे क्षेत्र हों (The Washington Post, India Today, Indiatimes)।

मुख्य कारण था भारत की रूस से तेल खरीद – जिसे अमेरिका ने युद्ध फंडिंग का हिस्सा बताया। इसके चलते कई श्रम-गहन और निर्यात-निर्भर उद्योग सीधे प्रभावित हुए, जैसे वस्त्र, गहने, रत्न, रसायन, फ़र्नीचर, मशीनरी आदि, जिन पर अब 50% के आस-पास शुल्क लागू है (India Today)।

3. भारत का राजनीतिक जवाब और सरकारी रुख

विदेश मंत्रालय ने इस निर्णय को “अनुचित, असंगत और अन्यायपूर्ण” बताया, और कहा कि भारत ने अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को देखते हुए निर्णय लिया है—उसी प्रकार कई अन्य देशों ने भी (ABP Live, Business Standard)।

कुछ नेता और विचारक इसे अवसर भी मान रहे हैं। अमिताभ कांत ने इसे ‘आगेपथ क्षण’ यानी ‘Agneepath Moment’ करार दिया—जिससे भारत दीवारों को पार कर लंबी अवधि में संरचनात्मक सुधार कर सकता है (The Economic Times)।

4. व्यापार और अर्थव्यवस्था पर संभावित प्रभाव

रिपोर्टों में अनुमान लगाया गया कि यदि यह टैरिफ एक साल तक लागू रहा, तो भारत की जीडीपी विकास दर में 30–40 आधार बिंदु तक की गिरावट हो सकती है (Outlook Business, Reuters)। मॉर्गन स्टैनली ने तो यह आंकड़ा और बड़ा बताकर 80 बिंदुओं तक की कमी का अनुमान लगाया है, यदि सरकार समय रहते उपाय नहीं करती (The Economic Times)।

विशेषकर निर्यात-आधारित उद्योग—जैसे वस्त्र, गहने, रत्न, श्रीम्प—सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। जैसे, एक ट्रेड़ संगठन (GTRI) ने अनुमान लगाया कि अमेरिका के लिए भारत से निर्यात लगभग 40–50% तक कम हो सकता है (India Today)।

5. शेयर बाजार पर प्रतिक्रिया और विदेशी निवेशक व्यवहार

शेयर बाजार भी तुरंत प्रतिक्रिया देने लगा। कुछ रिपोर्टों में बताया गया कि अगले दिन का कारोबार चिंताजनक हो सकता है, क्योंकि विदेशी निवेशकों ने जुलाई में ₹2,000 करोड़ और अगस्त की शुरुआत में ₹900 करोड़ निकाल लिए हैं (Reuters)।

Outlook Business की रिपोर्ट में कहा गया कि बाजार में निर्यात-उन्मुख शेयरों—जैसे वस्त्र, इंजीनियरिंग, ऑटो कंपोनेंट्स—पर सबसे ज्यादा दबाव पड़ा। भीतरी व्यापार की धारणा टूटने लगी। तकनीकी संकेतक भी नकारात्मक थे, और यदि 24,080 का स्तर टूट गया, तो और गिरावट की आशंका बनी रही (Outlook Business)।

6. आगे क्या हो सकता है: डिप्लोमैसी, नीति कदम और बाजार की निगाह

इन घटनाक्रमों के बीच, एक 21‑दिन की वैधानिक अवधि दी गई है—जिसमें अमेरिका और भारत के बीच बातचीत हो सकती है। एक अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधिमंडल 24 अगस्त को भारत आएगा, जिससे संभावित समाधान की आशा बनी हुई है (Reuters, Outlook Business)।

RBI ने हालांकि अभी तक अपने 6.5% वाली जीडीपी वृद्धि अनुमान को बरकरार रखा है, यह जताते हुए कि वैश्विक अनिश्चितताओं को देखते हुए अभी तक कोई बदलाव नहीं हुआ है (Reuters)। भारतीय सरकार भी नए मण्डल, वैकल्पिक बाजारों और खाद्य, कृषि, ऊर्जा क्षेत्रों की रक्षा के लिए कार्य कर रही है।

इस संकट का सामना केवल वैदेशिक दबाव से नहीं, बल्कि आत्म-समर्थन, नीति सुधार, बाजार विविधीकरण और निर्यात रणनीतियों से किया जा सकता है—इसी बात को लेकर कई विश्लेषक आशावादी हैं।

यदि आप चाहें, तो मैं आपके लिए प्रासंगिक आंकड़ों, बहस‑विमर्श या संभावित रणनीतियों पर और गहराई से चर्चा कर सकता हूँ।

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