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Trump’s Impact on India’s Economy: Sandeep Tandon Insights

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डोनाल्ड ट्रंप की अनोखी रणनीति और भारत का आर्थिक सफर: सन्दीप टंडन के विचार

डोनाल्ड ट्रंप के शासनकाल में विश्व राजनीति और अर्थव्यवस्था में कई ऐसे मोड़ आए, जिनकी छाया आज भी महसूस की जा रही है। क्वांट म्यूचुअल फंड के सीआईओ सन्दीप टंडन के मुताबिक, ट्रंप की मैनेजमेंट शैली थोड़ी अव्यवस्थित और अप्रत्याशित है, जो वैश्विक स्तर पर कई देशों की नीतियों को प्रभावित करती है। खासकर, उन्होंने भारत को टारगेट करते हुए रूस को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करने की रणनीति अपनाई, जिसे भारत ने काफ़ी कुशलता से हैंडल किया है। इस लेख में, हम सन्दीप टंडन के विचारों के माध्यम से समझेंगे कि इस समय भारत और अमेरिका के बाजारों की स्थिति क्या है, ट्रंप की नीतियाँ कैसे प्रभावित कर रही हैं, और निवेशकों को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

ट्रंप की ‘अव्यवस्थित’ रणनीति और भारत पर असर

टंडन का मानना है कि ट्रंप की रणनीति काफी मिश्रित और कभी-कभी ‘हड़बड़ी’ वाली लगती है। उन्होंने सीधे तौर पर रूस को टारगेट नहीं किया, बल्कि भारत पर दबाव डालकर रूस को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करने की कोशिश की। यह रणनीति आर्थिक और राजनैतिक दोनों स्तरों पर भारत के लिए चुनौतीपूर्ण रही। लेकिन भारत ने न केवल इसे समझदारी से टाला, बल्कि अपने आर्थिक और राजनीतिक हितों को भी सफलतापूर्वक सुरक्षित रखा।

टंडन के अनुसार, ऐसे वैश्विक राजनीतिक संकटों के बीच भी भारत ने अपने आप को मजबूत किया है। पिछले डेढ़-दो दशकों में हर संकट ने भारत को अगले स्तर पर पहुंचाया है। चाहे वह आर्थिक मंदी हो या वैश्विक तनाव, भारत ने खुद को हर बार बेहतर स्थिति में पाया है।

अमेरिका का बाजार: संभावित गिरावट का खतरा

टंडन का एक और अहम नजरिया है अमेरिकी बाजार के बारे में। उनका कहना है कि अमेरिकी बाजार फिलहाल कमजोर स्थिति में है, और जल्द ही एक तेज गिरावट (शार्प करेक्शन) देखने को मिल सकती है। जनवरी में उन्होंने पहले ही 15-20% गिरावट की भविष्यवाणी की थी, जो मार्च तक सही साबित हुई।

उनका मानना है कि फिलहाल बाजार में अनिश्चितता छाई हुई है। निवेशक सतर्क हैं, और विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) लगातार बेच रहे हैं। टंडन इसे एक तरह की ‘राजनयिक रणनीति’ भी मानते हैं, जिसका उद्देश्य किसी राजनीतिक संदेश को देना हो सकता है।

भारतीय बाजार की मजबूती और निवेशकों का रवैया

अमेरिका के विपरीत, भारत का इक्विटी बाजार काफी हद तक स्थिर और मजबूत दिखाई देता है। टंडन के अनुसार, इस बार भारतीय बाजार ने पहले से ही उस अनिश्चितता को अपने दामों में शामिल कर लिया है, जिससे अचानक कोई बड़ा झटका नहीं आएगा।

उन्होंने यह भी कहा कि भारत में निवेशकों की परिपक्वता बढ़ी है। सेबी और सरकार भी मार्केट में निवेशकों के विश्वास को बनाए रखने के लिए हर संभव कदम उठा रहे हैं। ऐसे माहौल में नकारात्मक सोच रखने की बजाय हमें देश के विकास में विश्वास बनाए रखना चाहिए।

निवेश के लिए भारत-केंद्रित पोर्टफोलियो

टंडन ने सुझाव दिया कि निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो को भारत-केंद्रित बनाना चाहिए। हालांकि, फार्मा सेक्टर को वे फिलहाल थोड़ा जोखिम भरा मानते हैं, इसलिए उससे दूरी बनाए रखने की सलाह देते हैं। उनका मानना है कि भारत में अन्य क्षेत्रों में निवेश के बेहतर मौके मौजूद हैं, जो लंबी अवधि में अच्छा रिटर्न दे सकते हैं।

विदेशी निवेश और आर्थिक नीतियाँ

विदेशी निवेशकों की बिक्री से भारतीय बाजार में उतार-चढ़ाव आता है, लेकिन टंडन के अनुसार यह केवल अस्थायी पैचेस (patches) हैं। बाजार की चाल कभी भी सीधे तौर पर नहीं बढ़ती या घटती, बल्कि इसमें उतार-चढ़ाव आते रहते हैं।

टंडन इस बात पर भी जोर देते हैं कि विदेशी निवेशकों की बिक्री को सिर्फ नकारात्मक न समझें, क्योंकि कई बार ये राजनयिक या वैश्विक राजनीतिक संकेत भी होते हैं। भारत को ऐसे समय में अपने कदम मजबूत रखना चाहिए।

भारत के आर्थिक विकास के अगले स्तर

सन्दीप टंडन का मानना है कि हर संकट के बाद भारत ने अपने आर्थिक विकास के नए स्तर हासिल किए हैं। यह सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं, बल्कि व्यवहारिक बदलाव भी हैं। जैसे-जैसे भारत नई तकनीक, बेहतर नीतियां, और निवेश के अवसरों को अपनाता है, वह ग्लोबल आर्थिक परिदृश्य में अपनी पकड़ मजबूत करता है।

सतर्कता और अवसर साथ-साथ

अखिरकार, ट्रंप की रणनीतियों से लेकर अमेरिकी बाजार की अस्थिरता तक की बात करें तो एक ही बात सामने आती है: निवेशकों को सतर्क रहना होगा, लेकिन घबराना नहीं। भारत के बाजार ने यह साबित कर दिया है कि वह चुनौतियों के सामने टिक सकता है और आगे बढ़ सकता है।

टंडन की सलाह यही है कि एक समझदारी भरा, भारत-केंद्रित निवेश पोर्टफोलियो रखें, बाजार की हर छोटी-छोटी चाल पर नज़र रखें, और आर्थिक नीतियों को समझकर कदम बढ़ाएं।

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