COVID-19 Cases Rising in India– JN.1 वेरिएंट फिर से सुर्खियों में
ओ भाई, फिर से वही पुराना डर, नई शक्ल के साथ। लगता था कि कोरोना का सीज़न फिनाले हो गया, लेकिन JN.1 वेरिएंट के साथ ये शो फिर से री-रिलीज़ हो रहा है। केरल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु – इन राज्यों ने जैसे कलेक्टर का खिताब जीत लिया है, सबसे ज़्यादा केस यहीं से आ रहे हैं। बाकी राज्य भी पीछे नहीं हैं, थोड़े-बहुत नए केस कर्नाटक, गुजरात, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और सिक्किम में भी दिख रहे हैं। मतलब, वायरस का टूर इंडिया पैकेज चालू है!
अब बात करें COVID आंकड़ों की – पूरे देश में टोटल 257 एक्टिव केस। सुनने में कम लग सकते हैं, लेकिन हेल्थ डिपार्टमेंट वालों की टेंशन लेवल 100 पर है। मुंबई के KEM हॉस्पिटल में दो मौतें भी हो गईं, जिसने लोकल प्रशासन को झटका दे दिया। सच बोलूं तो, दो साल पहले की यादें ताज़ा हो गईं – जब छोटी-सी खबर सुनते ही लोग किराने की दुकान खाली कर देते थे।
ICMR और NCDC के एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि “घबराओ नहीं, लेकिन आंखें खुली रखो।” एकदम देसी अंदाज़ में – ‘डरना मना है, लापरवाही नहीं चलेगी’। असल में, अबकी बार सरकार और हेल्थ एक्सपर्ट्स ने रियल टाइम मॉनिटरिंग और रैपिड रिस्पॉन्स पर फोकस किया है, ताकि पिछली बार जैसी आफत न आए। अब तो गली-गली में रैपिड टेस्टिंग की बातें हो रही हैं, और लोग भी पहले से थोड़े ज़्यादा जागरूक हैं (या कम से कम दिखाने की कोशिश करते हैं)।
अब COVID इस JN.1 वेरिएंट की बात – ये Omicron की फैमिली का नया मेंबर है। सिंगापुर और हांगकांग में तो इसकी वजह से हड़कंप मच गया। सिंगापुर में वीकली केस 28% तक बढ़ गए – अब सोचो, वहां की पब्लिक ट्रांसपोर्ट में भीड़ कैसे झेल रही होगी! हांगकांग में 31 मौतें – और ये पिछले एक साल का सबसे बड़ा आंकड़ा है। ये सब देख के लगता है, भारत को मस्त नींद नहीं लेनी चाहिए।
COVID jn 1 लक्षण ? वही पुराने, लेकिन नए पैक में – बुखार, गला खराब, थकान, सूखी या कफ वाली खांसी, नाक बहना या जाम, सिरदर्द, बदन दर्द, और कभी-कभी स्वाद या गंध भी गायब। असली दिक्कत ये है कि ये सारे लक्षण आम वायरल फीवर जैसे लगते हैं। यानि, लोग खुद डॉक्टर बन के घर में ही इलाज शुरू कर देते हैं, और जब तक मामला बिगड़ जाए, तब तक टेस्ट करवाने का नाम नहीं लेते। भाई, एक बार टेस्ट करवा लो, वरना बाद में पछताना पड़ेगा।
अब सरकार ने क्या किया? सीधा अलर्ट जारी – सब राज्य तैयार रहें, टेस्टिंग और ट्रेसिंग चालू रखें, हॉस्पिटल इंफ्रा को अपडेट करो। मतलब, पिछली बार के मुकाबले इस बार सरकार थोड़ा proactive दिख रही है। और हां, वैक्सीनेशन और बूस्टर डोज़ की बातें फिर से वायरल हो रही हैं। एक्सपर्ट्स यही मानते हैं कि जिन लोगों ने वैक्सीन ली है, उनमें सीरियस इंफेक्शन का खतरा कम है – तो जिसे अभी भी बहाना बनाना है, वो खुद ही रिस्क ले रहा है।
अब जनता के लिए क्या टिप्स ?
– मास्क पहनना कोई इगो का सवाल मत बनाओ, खासकर भीड़-भाड़ में।
– बंद कमरों वाली भीड़ से जितना हो सके, बचो। बाहर की हवा फ्री है, उसका मजा लो।
– हाथ साबुन से धोओ, या पोकेमॉन की तरह सैनिटाइज़र पकड़े फिरो।
– लक्षण दिखते ही टेस्ट करवाओ, खुद गूगल डॉक्टर मत बनो।
– घर के बुज़ुर्ग या बीमार लोग – उनका एक्स्ट्रा ध्यान रखना, क्योंकि उन्हें सबसे ज़्यादा खतरा है।
– टीकाकरण अपडेट रखो, बूस्टर डोज़ भी लगवा लो – कोई साइड इफेक्ट वाला डर मत पालो।
अब तक नई गाइडलाइन नहीं आई है, लेकिन अगर केस बढ़े तो स्कूल, ऑफिस, जिम, मॉल – सबकी छुट्टी हो सकती है। कौन फिर से ऑनलाइन क्लासेज़ या वर्क फ्रॉम होम चाहता है? शायद बहुत कम लोग! इसलिए, थोड़ी सी सतर्कता दिखाओ, सबका भला होगा।
क्या ये कोरोना की नई लहर है? फिलहाल तो नहीं, लेकिन ये वायरस है – कब, कहां, कैसे पलटी मार दे, किसी को नहीं पता। सिंगापुर, हांगकांग जैसी जगहों की खबरें देखकर इतना तो समझ आ गया कि हम रिलैक्स नहीं हो सकते। JN.1 वेरिएंट की चाल समझ से बाहर है – कभी धीमा, कभी तेज़।
सबसे बड़ा हथियार – सावधानी, समझदारी, और मिलजुल कर चलना। सोशल मीडिया पर अफवाहें फैलाने की बजाय, सही जानकारी शेयर करो। WHO की वेबसाइट या सरकारी हेल्पलाइन से अपडेट लेते रहो।
और हां, पैनिक करने की जरूरत नहीं। बस, दिमाग और मास्क दोनों पहन के रखो। कोरोना से लड़ाई कोई सिंगल प्लेयर गेम नहीं है – पूरी टीम इंडिया को साथ चलना है।
तो सेहत से खिलवाड़ मत करो, यार। खुद भी सेफ रहो, और दूसरों को भी सेफ रखो। वरना फिर से वही लॉकडाउन, वही पुराने डर, और वही “घर में बैठो” वाली लाइफस्टाइल – कौन चाहता है दोबारा?
Stay healthy, stay alert – और थोड़ा सा ह्यूमर भी रखो, वरना कोरोना तो है ही सिरदर्द!